चीन का नया K-Visa: अमेरिका के H-1B का नया प्रतिद्वंद्वी? भारतीय टेक टैलेंट के लिए अवसरों की अनंत दुनिया
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परिचय: वैश्विक टैलेंट वॉर में भारत की अपरिहार्य भूमिका और 2025 का बड़ा शिफ्ट 2025 का साल टेक्नोलॉजी की दुनिया के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो रहा है। भारत , जो 5 मिलियन से अधिक आईटी प्रोफेशनल्स के साथ दुनिया का सबसे बड़ा टेक टैलेंट पूल है , अब ग्लोबल इमिग्रेशन पॉलिसीज के तेजी से बदलते परिदृश्य से सीधे प्रभावित हो रहा है। अमेरिका का H-1B वीजा , जो दशकों से भारतीय इंजीनियर्स का सपनों का द्वार रहा है , अब 21 सितंबर 2025 से लागू $100,000 की भारी फीस के कारण कईयों के लिए पहुंच से बाहर हो गया है। दूसरी ओर , चीन ने अगस्त 2025 में अपना क्रांतिकारी K-Visa लॉन्च किया , जो 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी हो चुका है। यह वीजा विशेष रूप से युवा साइंस , टेक्नोलॉजी , इंजीनियरिंग और मैथ्स ( STEM) टैलेंट को टारगेट करता है , बिना किसी जॉब ऑफर या स्पॉन्सरशिप की जरूरत के। पहले ही महीने में सैकड़ों आवेदन आ चुके हैं , जिनमें भारतीय युवाओं की संख्या उल्लेखनीय है। यह बदलाव सिर्फ वीजा पॉलिसी का नहीं , बल्कि वैश्विक टैलेंट वॉर का हिस्सा है। चीन अपनी ' मेड इन चाइना 2025' स्ट्रैटेजी के तहत AI, सेमीकंडक्टर ...